सार्थक अंक (significant figure)

 सार्थक अंक क्या होते हैं?


 साधारणतः  मापन के परिणामों को एक संख्या के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसमें वे सभी अंक सम्मिलित होते हैं जो विश्वसनीय (निश्चित) है तथा वह प्रथम अंक भी सम्मिलित होता है जो अनिश्चित है।

किसी माप के मान में वे सभी अंक जो निश्चित हैं तथा इनके साथ का प्रथम अनिश्चित अंक, सार्थक अंक कहलाते हैं।

सार्थक अंकों की धारणा बहुत महत्वपूर्ण है। सार्थक अंक मापन की परिशुद्धता इंगित करते हैं।
इनसे यह संकेत मिलता है कि कोई माप किस सीमा तक विश्वसनीय है।

सार्थक अंक किसे कहते हैं?

किसी माप के उन अंको, जिन तक हम प्रमाणिक एवं यथार्थ जानकारी कर सकते हैं, को सार्थक अंक कहते हैं।

The digits that reflect the precision of the measurement are called significant figure.

सार्थक अंक कैसे पहचाने जाते हैं ?


यदि मापन के बाद किसी वस्तु की लंबाई 479.5 व्यक्त की जाती है, तो इसमें अंक 4,7,9 तो निश्चित एवं विश्वसनीय हैं जबकि दशमलव बिंदु के बाद का अंक 5 अनिश्चित है,
इस प्रकार मांपे  गए मान में चार सार्थक अंक हैं।

 सार्थक अंक ज्ञात करने के नियम

किसी संख्या के सार्थक अंक ज्ञात करने के नियमों को नीचे उदाहरण सहित बताया गया है



  •  जो संख्याएं गिन कर प्राप्त होती हैं अर्थात जो किसी मापक यंत्र की सहायता से प्राप्त नहीं की जाती हैं, यथार्थ होती हैं, उनमें अनंत सार्थक अंक होते हैं। उदाहरण के लिए r = d / 2 अथवा s = 2 π r  में गुणांक 2 एक यथार्थ संख्या है और इसे 2.0 , 2.00 , 2.0000  कुछ भी लिखा जा सकता है। 
  • सभी शून्येतर अंक सार्थक अंक होते हैं।
  • एक से बड़ी बिना दशमलव वाली संख्या के लिए अनुगामी शून्य सार्थक अंक नहीं माने जाते हैं।
  • ऐसी संख्या, जिसमें दशमलव नहीं है,के अंतिम अथवा अनुगामी शून्य सार्थक अंक नहीं माने जाते हैं। उदाहरण के लिए      123 m = 12300 cm = 123000 mm      में तीन ही सार्थक अंक हैं।
  • सार्थक अंकों के निर्धारण में दशमलव कहां लगा है इसका कोई महत्व नहीं होता है।
  • एक से छोटी संख्या में दशमलव के बाएं ओर  लिखा शून्य  (जैसे 0.1250) कभी भी सार्थक अंक नहीं माना  जाता है।
  • यदि कोई संख्या 1 से छोटी है तो वह शून्य  जो, दशमलव के दाएं ओर पर स्थित प्रथम शून्येतर अंक के बाएं ओर हो, सार्थक अंक नहीं माने जाते हैं। जैसे (0.002308) में कुल 4 सार्थक अंक हैं तथा रेखांकित शून्य सार्थक अंक नहीं माने जाते हैं।
  • दशमलव वाली संख्या में दशमलव बिंदु की स्थिति का ध्यान रखें बिना किन्ही दो शुन्येत्तर अंकों के बीच के सभी 0 सार्थक अंक माने जाते हैं।
  • दशमलव वाली संख्या में अनुगामी शून्य सार्थक अंक माने जाते हैं। उदा., 0.3500 , 0.06900 , 4.700 में चार सार्थक अंक हैं।
  • भिन्न मात्रक चुनने से सार्थक अंकों की संख्या नहीं बदलती है। मान लो एक परीक्षण में किसी वस्तु की लंबाई 4.700 m लिखी गई है अब माना हम अपना मात्रक बदल देते हैं तो, 4.700 m = 470.0 cm = 0.004700 km = 4700 mm ,,  अंतिम संख्या में दो शून्य (बिना दशमलव वाली संख्या में अनुगामी शून्य) हैं । इन सभी संख्याओं में चार सार्थक अंक हैं।
  • यदि किसी परीक्षण के परिणामी मान में शून्य का उद्देश्य माप की परिशुद्धता बतलाना हो तब संख्या में अनुगामी शून्य सार्थक अंक माने जाते हैं।                    संख्या   4.700 m = 470.0 cm = 0.004700 km = 4700 mm  इन सभी संख्याओं में चार सार्थक अंक हैं।
  • वैज्ञानिक संकेत (10 की घात के रुप में) विधि में आधार संख्या के सभी शून्य सार्थक अंक माने जाते हैं।


सार्थक अंकों का योग तथा अंतर


संख्याओं के योग अथवा अंतर से प्राप्त परिणाम में दशमलव के बाद उतने ही सार्थक अंक रहने चाहिए जितने की योग या अंतर की जाने वाली किसी राशि में दशमलव के बाद कम से कम हो।

436.32 g , 227.2 g व 0.301 g का योग 663.821 g  है इनमें से सबसे कम शुद्ध माप 227.2 g  है इसलिए अंतिम परिणाम  को 663.8 g तक पूर्णांकित कर दिया जाता है।
अतः परिणाम में चार सार्थक अंक होंगे।
योग और अंतर के लिए यह नियम दशमलव स्थान के पदों में है।

सार्थक अंकों का गुणा तथा भाग


संख्याओं को गुणा या भाग करने से प्राप्त परिणाम में केवल उतने ही सार्थक अंक रहने देने चाहिए जितने की सबसे कम सार्थक अंकों वाली मूल संख्या में हैं।

उदाहरण माना किसी पिंड का द्रव्यमान 4.237 g  है और आयतन 2.51 cm³ है तब घनत्व
4.237/2.51 = 1.69 g.cm³

परिणाम में कुल 3 सार्थक अंक हैं क्योंकि दोनों संख्याओं 4.237 व 2.51  में से 2.51 में कम सार्थक अंक हैं।

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