Fundamental forces of Nature

The Four Fundamental Forces of Nature

 

The Four Fundamental Forces of Nature are Gravitational force, Weak Nuclear force, Electromagnetic force and Strong Nuclear force. The weak and strong forces are effective only over a very short range and dominate only at the level of subatomic particles. Gravity and Electromagnetic force have infinite range. Let’s see each of them in detail.

Gravitational Force

The gravitational force is weak, but very long ranged. Furthermore, it is always attractive. It acts between any two pieces of matter in the Universe since mass is its source.

Weak Nuclear Force

The weak force is responsible for radioactive decay and neutrino interactions. It has a very short range and. As its name indicates, it is very weak. The weak force causes Beta decay ie. the conversion of a neutron into a proton, an electron and an antineutrino.

Electromagnetic Force

The electromagnetic force causes electric and magnetic effects such as the repulsion between like electrical charges or the interaction of bar magnets. It is long-ranged, but much weaker than the strong force. It can be attractive or repulsive, and acts only between pieces of matter carrying electrical charge. Electricity, magnetism, and light are all produced by this force.

Strong Nuclear Force

The strong interaction is very strong, but very short-ranged. It is responsible for holding the nuclei of atoms together. It is basically attractive, but can be effectively repulsive in some circumstances. The strong force is ‘carried’ by particles called gluons; that is, when two particles interact through the strong force, they do so by exchanging gluons. Thus, the quarks inside of the protons and neutrons are bound together by the exchange of the strong nuclear force.





Four Fundamental Forces

 

Electroweak Theory and Grand Unification Theories (GUT)

There is a speculation, that In the very early Universe when temperatures were very high (the Planck Scale) all four forces were unified into a single force. Then, as the temperature dropped, gravitation separated first and then the other 3 forces separated. Even then, the weak, electromagnetic, and strong forces were unified into a single force. When the temperature dropped these forces got separated from each other, with the strong force separating first and then at a still lower temperature the electromagnetic and weak forces separating to leave us with the 4 distinct forces that we see in our present Universe. The process of the forces separating from each other is called spontaneous symmetry breaking.


मौलिक बल

मौलिक बल (fundamental force):- प्रकृति में चार मौलिक बल पाये जाते हैं जिसमें गुरुत्वीय और विद्युत चुंबकीय बल से साधारणतया हम परिचित है। पर दो नये बल, सशक्त बल और दुर्बल बल का परिचय नाभकीय स्तर पर होता है। जब दो प्रोटॉन एक दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो वे प्रकृति के सभी चारो बलो का अनुभव करते हैं। दुर्बल बल बीटा-क्षय को संचालित करते हैं और न्यूट्रीनो को नाभिक से बांधकर रखते हैं। सशक्त बल जिसे प्रायः नाभकीय बल कहा जाता है वास्तव में क्वार्को को आपस में बांधकर बेर्यॉन (तीन क्वार्क) और मेसॉन (एक क्वार्क + एक एन्टी क्वार्क) बनाते हैं। इसी तरह इलेक्ट्रॉन नाभिक से विद्युत चुंबकीय बल से जुड़ा होता है। गुरुत्वीय बल का सीधा संबंध द्रव्यमान से है। दो कणो के बीच गुरुत्वीय बल दोनो कणो के द्रव्यमान और बीच की दूरी पर निर्भर करता है। गुरुत्वीय और विद्युत चुंबकीय बल की सीमा अनंत होती है पर दूरी के साथ इसकी ताकत घटती जाती है। सशक्त और दुर्बल बल की सीमा अत्यंत सीमित होती है।

समस्त ब्रह्मांड चार मूलभूत बलो से संचालित है- विद्युत-चुंबकिय बल, कमजोर तथा मजबूत नाभिकिय बल और गुरुत्वाकर्षण बल। इन चारो बलो में से ब्रह्मांड में पहले तीन बल चौथे बल गुरुत्वाकर्षण बल से अत्याधिक शक्तिशाली है। बता दे कि गुरुत्वाकर्षण बल सबसे कमजोर बल होते हुये भी अत्याधिक दूरी पर प्रभावशाली होता है वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वह बल है जिसने ब्रह्मांड को एक आकार दिया है। इसी बल के कारण प्रभाव से पदार्थ के कण एक दूसरे की ओर आकर्षित होते है और ग्रह, तारे, आकाशगंगा का निर्माण करते है और सारे ब्रह्माण्ड के पिंड इसी बल के कारण अपने आकार मे है। यही नही ब्रह्मांड के पिंड आपसे मे एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही बंधे हुये है। आकाशगंगा के केंद्र की परिक्रमा गुरुत्वाकर्षण बल से ही संभव है। यदि गुरुत्वाकर्षण बल को वहां से हटा दिया जाये तो सारा ब्रह्मांड बिखर जायेगा। इसका कोई आकार नहीं रहेगा। और ना ही किसा ग्रह को कोई आकार रहेगा।

1990 मे एक सुपरनोवा के विश्लेषण से वैज्ञानिकों को लगा था कि कोई रहस्यमय बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत कार्य कर ब्रह्मांड के विस्तार को गति दे रहा है। इस खोज ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया था। इन आंकड़ो को सही से जांचने के बाद ज्ञात हुआ है कि रहस्यमय बल का अस्तित्व ज़रूर है जिससे ब्रह्मांड के विस्तार की गति को त्वरण मील रहा है। वैज्ञानिकों ने इस रहस्यमय बल को डार्क ऊर्जा के नाम से जानते है। लेकिन वास्तविकता मे यह बल गुरुत्वाकर्षण बल के विपरीत नही है। यह श्याम ऊर्जा पिंडो के मध्य अंतराल का निर्माण करती है


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